मैंने कभी किसी को आज़माया नही,
जितना प्यार दिया उतना कभी पाया नही,
किसी को हमारी भी कमी महसूस हो,
शायद खूदा ने मुझे ऐसा बनाया नहीं।
Hamne kabhi kisi ko aazmaya nahi,
jitna pyaar diya utna kabhi paya nahi,
kisi ko hamari bhi kami mehsoos ho,
shayad aisa khuda ne hame banaya nahi.
बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है,
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है,
तड़प उठता हूँ “दर्द” के मारे…
ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है,
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ,
मुझको तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है। ? ?
औकात नहीं थी ज़माने में जो मेरी कीमत लगा सके,
कम्बख़्त इश्क में क्या गिरे, मुफ्त में नीलाम हो गये।
बाज़ी-ए-मुहब्बत में हमारी बदकिमारी तो देखो,
चारों इक्के थे हाथ में, और इक बेग़म से हार गये!
सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने,
हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है। ?
रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लग के वो,
ऐसा लगा कि जैसे कभी बेवफा न थे वो। ?
तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी,
वरना हमको कहाँ तुम से शिकायत होगी,
ये तो वही बेवफ़ा लोगों की दुनिया है,
तुम अगर भूल भी जाओ जो कौन सी नई बात होगी। ?
बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से,
बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से,
ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से,
आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से।