मकड़ी जैसे मत उलझो तुम गम के ताने बाने में,
तितली जैसे रंग बिखेरो हँस कर इस ज़माने में।
यूँ ही रिहा नहीं हो सकेंगे जहन से तुम्हारे हम,
बड़ी सिद्दत से तुम्हारे दिल में घर बनाया है।
सम्भालती है सदा तेरी चाहतें मुझको,
मेरी दुआ है कि, तू मुझे भूल ना पाए कभी।
हमारी अफवाह के धुंए वहीं से उठते है,
जहाँ हमारे नाम से आग लग जाती है।
इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ऐ बेखबर,
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं।
लहरों का सुकून तो सभी को पसंद है, लेकिन..
तुफानो में कश्ती निकालने का मजा ही कुछ और है।
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,
हज़ारो लोग है मगर फिर भी कोई उस जैसा नहीं।
मौन हो बस सुनें धड़कनों की ज़ुबाँ,
लुत्फ़ क्या है लबों से हुई बात में।
दस्तक और आवाज तो कानो के लिए है,
जिसे रूह जी जाए खामोशी उसे कहते हैं।
वक़्त की तरह तुम भी ना ठहरे मेरी ज़िन्दगी में,
तुम गुज़रते रहे और हम इंतज़ार करते रह गए।