अजीज भी वो है, नसीब भी वो है,
दुनियाँ के इस भीड में करीब भी वो है,
उनकी दुआ से चलती है जिन्दगी खुदा भी वो है,
और तकदीर भी वो है।
जो खामोशी न समझे उससे प्यार क्या करना
और जो समझ ले उससे इजहार क्या करना!
Jo khamoshi na samjhe usse pyar kya karna
aur jo samajh le usse ijahaar kya karna!
अक्सर पूछती है उनकी खामोश निगाहे मुझसे,
मोहब्बत है तो उसका इज़हार क्यों नहीं करते,
अब कौन समझाए उन्हें की
दो लफ़्ज़ों में जो बयां हो पाये.. हम वो प्यार नहीं करते।