ये आपका चेहरा है या प्याज के छिलके,
एक चेहरा उतारा तो सौ और चेहरे मिले। ?
फिर से एक उम्मीद पाल बैठी हूँ,
फिर से तेरे पते पर चिट्टी डाल बैठी हूँ। ?
लिखते हैं सदा उन्ही के लिए,
जिन्होंने हमे कभी पढा ही नही। ?
ये आपका चेहरा है या प्याज के छिलके,
एक चेहरा उतारा तो सौ और चेहरे मिले। ?
फिर से एक उम्मीद पाल बैठी हूँ,
फिर से तेरे पते पर चिट्टी डाल बैठी हूँ। ?
लिखते हैं सदा उन्ही के लिए,
जिन्होंने हमे कभी पढा ही नही। ?